दोस्त आज मे आपके साथ best powerful motivational moral stories in hindi लेकर आया हूँ जो आपके जीवन में सफल होने के लिए बहुत काम आएगी आपको हमेशा आपके हुनर पे विश्वास होना चाहिए पूरी लगन से किया हुवा काम और पूरी निष्ठा से किया हुवा काम कभी अशफल नही होता। दोस्तों जब भी जीवन में कोई मुसीबत आये तब हमेशा अपनी काबिलियत पे विश्वास रख के उसका सामना करना चाहिए दर के भागना नहीं
महेश बाबू हीरो के बहुत प्रसिद्ध कारीगर थे उनके हाथों मे करिश्मा था कि उनके तराशे से हुए हीरे जो भी देखता हैरान हो जाता है
महेश बाबू ऐसी कारीगिरी देख कर ग्राहक भी मुंह मांगी रकम देने को तैयार हो जाते और सुनार को मोटा मुनाफा मिलता इसी वजह से महेश बाबू द्वारा तराशे हुए हीरो की मांग हमेशा बाजार में रहती थी
महेश बाबू वो सुनारो से हीरा ले आते और अपने घर बैठकर उस को तराश कर सुनार को वापिस दे देते उनका बेटा प्रकाश अभी स्कूल में पढ़ता था लेकिन जब भी महेश बाबू हीरो को तराशा करते तो वह उन्हें बहुत ही ध्यान से देखता था।
महेश बाबू की उत्सुकता और हीरो के प्रति लगा देख वह उसे भी अपना हुनर की बारीकियां समझाने लगे कभी-कभी तो वह उसे एक छोटा सा हीरा दे देते और कहते कि जैसे मैंने समझाया उसी तरह तुम भी तराश के दिखाओ और प्रकाश बहुत लगन से हीरा तराशता जैसे-जैसे वक्त वितता गया उनका प्रकाश भी अच्छा कारीगर बन गया और महेश बाबू बहुत खुश थे अब वह सुनारो से ज्यादा हीरे लाते और दोनो बाप बेटा मिलकर उनको तराशते लेकिन अब तक उन्होंने सुनारो को अपने बेटे की कार्यकुशलता के बारे में नहीं बताया था
एक दिन अचानक दिल का दौरा पढ़ने से महेश बाबू की मौत हो गई बेटा गम में डूब गया था उसे पिता की मौत का सदमा इतना गहरा लगा कि वह हर वक्त दीवार पर टंगी अपने पिता की तस्वीर को निहारता रहता जब से महेश बाबू का देहांत हुआ था तब से घर में कमाई का एक पैसा भी नहीं आया था घर में दाल रोटी खत्म होने की नौबत आ गई थी
महेश बाबू का बेटा सुनारों के पास कुछ काम मांगने को कहा ताकि घर का खर्चा तो चल सके और कोई चारा न था। उसने अपने को संभाला और बाजार निकल पडा महेश बाबू के चले जाने के बाद सुनारों ने हीरो की तराशी का काम दूसरे कारीगरों को देना शुरू कर दिया था कुछ सुनारो ने तो सीधा यह कह कर टाल दिया कि जब काम होगा बुला लेंगे और कुछ ने अभी कोई काम नहीं है कह कर चलता किया हार कर बेचारा घर वापस आ गया घर के हालात अच्छे ना होने की वजह से उसने कहीं नौकरी करने की भी सोची लेकिन फिर ये सोचा कि उसे तो हीरे के अलावा कुछ आता नहीं वह मायूस हो गया था कुछ दिन बाद एक आदमी उनके घर आया उसे मालूम नहीं था कि महेश बाबू का देहांत हो गया था
महेश बाबू का देहांत हुवा यह सुन कर उसे बहुत दुख हुआ और वहासे वो निकले तब प्रकाश ने पूछा क्या कोई काम था तब उस आदमी ने बताया की वह पास के शहर में सुनार है और अक्सर महेश बाबू से अपने हीरो का काम करवाता था तब यह सुनकर प्रकाश ने आग्रह किया कि वह एक हीरे का काम उसे करवा के देखें प्रकाश ने उसे यह भी बताया कि अपने पिता से पूरी कारीगिरी उसने सीखी है यह बात सुनार को ठीक लगी और उसने सिर्फ एक हीरा प्रकाश को दिया और कहा कि इसे तराश कर कल मुझे दुकान पर दे जाना अपने पिता को प्रणाम कर प्रकाश काम में जुट गया सारी रात लगा उसने उसी हीरे को तराशा और सुबह उस सुनार के पास पहुंचा उस उस हीरे को देखते हुए सुनार के मुंह से सिर्फ एक ही बात निकली कौन कहता है महेश बाबू नहीं रहे महेश बाबू तो मेरे सामने खड़े हैं प्रकाश के रूप में यह तो अपने पिता की परछाई है यह सुन प्रकाश की आंखों में आंसू आ गए.
दोस्तों यह कहानी हमें यह सिख मिलती है कि अपने हुनर को पहचानो जीवन में आगे बढ़ने के लिए परिश्रम करो और काम को लगन से करो तभी सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी.दोस्तों अपने हुनर ओर कला का सही समय आने पर उसका प्रमाण देना चाहिए।
महेश बाबू हीरो के बहुत प्रसिद्ध कारीगर थे उनके हाथों मे करिश्मा था कि उनके तराशे से हुए हीरे जो भी देखता हैरान हो जाता है
महेश बाबू ऐसी कारीगिरी देख कर ग्राहक भी मुंह मांगी रकम देने को तैयार हो जाते और सुनार को मोटा मुनाफा मिलता इसी वजह से महेश बाबू द्वारा तराशे हुए हीरो की मांग हमेशा बाजार में रहती थी
महेश बाबू वो सुनारो से हीरा ले आते और अपने घर बैठकर उस को तराश कर सुनार को वापिस दे देते उनका बेटा प्रकाश अभी स्कूल में पढ़ता था लेकिन जब भी महेश बाबू हीरो को तराशा करते तो वह उन्हें बहुत ही ध्यान से देखता था।
महेश बाबू की उत्सुकता और हीरो के प्रति लगा देख वह उसे भी अपना हुनर की बारीकियां समझाने लगे कभी-कभी तो वह उसे एक छोटा सा हीरा दे देते और कहते कि जैसे मैंने समझाया उसी तरह तुम भी तराश के दिखाओ और प्रकाश बहुत लगन से हीरा तराशता जैसे-जैसे वक्त वितता गया उनका प्रकाश भी अच्छा कारीगर बन गया और महेश बाबू बहुत खुश थे अब वह सुनारो से ज्यादा हीरे लाते और दोनो बाप बेटा मिलकर उनको तराशते लेकिन अब तक उन्होंने सुनारो को अपने बेटे की कार्यकुशलता के बारे में नहीं बताया था
एक दिन अचानक दिल का दौरा पढ़ने से महेश बाबू की मौत हो गई बेटा गम में डूब गया था उसे पिता की मौत का सदमा इतना गहरा लगा कि वह हर वक्त दीवार पर टंगी अपने पिता की तस्वीर को निहारता रहता जब से महेश बाबू का देहांत हुआ था तब से घर में कमाई का एक पैसा भी नहीं आया था घर में दाल रोटी खत्म होने की नौबत आ गई थी
महेश बाबू का बेटा सुनारों के पास कुछ काम मांगने को कहा ताकि घर का खर्चा तो चल सके और कोई चारा न था। उसने अपने को संभाला और बाजार निकल पडा महेश बाबू के चले जाने के बाद सुनारों ने हीरो की तराशी का काम दूसरे कारीगरों को देना शुरू कर दिया था कुछ सुनारो ने तो सीधा यह कह कर टाल दिया कि जब काम होगा बुला लेंगे और कुछ ने अभी कोई काम नहीं है कह कर चलता किया हार कर बेचारा घर वापस आ गया घर के हालात अच्छे ना होने की वजह से उसने कहीं नौकरी करने की भी सोची लेकिन फिर ये सोचा कि उसे तो हीरे के अलावा कुछ आता नहीं वह मायूस हो गया था कुछ दिन बाद एक आदमी उनके घर आया उसे मालूम नहीं था कि महेश बाबू का देहांत हो गया था
महेश बाबू का देहांत हुवा यह सुन कर उसे बहुत दुख हुआ और वहासे वो निकले तब प्रकाश ने पूछा क्या कोई काम था तब उस आदमी ने बताया की वह पास के शहर में सुनार है और अक्सर महेश बाबू से अपने हीरो का काम करवाता था तब यह सुनकर प्रकाश ने आग्रह किया कि वह एक हीरे का काम उसे करवा के देखें प्रकाश ने उसे यह भी बताया कि अपने पिता से पूरी कारीगिरी उसने सीखी है यह बात सुनार को ठीक लगी और उसने सिर्फ एक हीरा प्रकाश को दिया और कहा कि इसे तराश कर कल मुझे दुकान पर दे जाना अपने पिता को प्रणाम कर प्रकाश काम में जुट गया सारी रात लगा उसने उसी हीरे को तराशा और सुबह उस सुनार के पास पहुंचा उस उस हीरे को देखते हुए सुनार के मुंह से सिर्फ एक ही बात निकली कौन कहता है महेश बाबू नहीं रहे महेश बाबू तो मेरे सामने खड़े हैं प्रकाश के रूप में यह तो अपने पिता की परछाई है यह सुन प्रकाश की आंखों में आंसू आ गए.
दोस्तों यह कहानी हमें यह सिख मिलती है कि अपने हुनर को पहचानो जीवन में आगे बढ़ने के लिए परिश्रम करो और काम को लगन से करो तभी सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी.दोस्तों अपने हुनर ओर कला का सही समय आने पर उसका प्रमाण देना चाहिए।