भिखारी से व्यापारी बन ने की कहानि Best motivational stories beggar and businessman

  

भिखारी से व्यापारी  बन ने की कहानि मोटिवेशनल स्टोरी2021
भिखारी से व्यापारी  बन ने की कहानि


       दोस्तों आज मे आपके साथ एक भिखारी के जीवन परिवर्तन की कहानि बताने जा रहा हूँ दोस्तों हर इंसान के जीवनकाल में कभी न कभी परिवर्तन आता है ऐसा ऐक दीन इस भिखारी के साथ हुवा रेल सफर के दौरान  भिखारी के जीवन बदल गया और भिखारी मेसे सेठ बन गया

भिखारी से व्यापारी  बन ने की कहानि

           दोस्तों ऐक भिखारी था रेलवे स्टेशन पे रहेता था और आने वाले मुसाफिरों से भीख मांगता था कोई भीख देता तो कोई ना देता।ऐसा हर रोज चलता रहता भिखारी अपना गुजारा ऐसे चलता था ऐसे में एक दिन ऐसा हुवा के वह भिखारी रेलगाड़ी मै भीख मॉंगने के दौरान एक दीन रेलगाड़ी मै एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे।तब भिखारी ने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत अमीर लगता है, इससे भीख़ माँगने पर यह मुझे जरूर अच्छे पैसे देगा। यह सोच कर भिखारी सेठ जी के पास जाकर भीख  माँगने लगा।


   भिखारी को देखकर उस सेठ जी ने कहा भिखारी को "क्या तुम हमेशा मांगते ही हो क्या कभी किसी को कुछ देते भी हो ?"तब भिखारी बोला "साहब मैं तो भिख़ारी हूँ हमेशा लोगों से मांगता हूँ, मेरी इतनी औकात कहाँ है कि मै किसी को कुछ दे सकूँ ?”


            सेठ जी ने भिखारी को कहा कि जब तुम किसी को  कुछ दे नहीं सकते तो तुम्हें मागने का भी कोई हक़ नहीं है।मैं एक व्यापारी हु इस लिये मैं लेन-देन में विश्वास करता हूँ अगर तुम्हारे पास मुझे देने के लिए कुछ है अगर है  तभी मैं तुम्हे बदले में कुछ दे सकता हूँ।

      सेठ जी और भिखारी के बिच इतनी बात हुई तभीवह स्टेशन आ गया जहाँ पर उस सेठ जी को उतरना था सेठ जी वह ट्रेन से उतरा और चला गया।

          

          भिखारी सेठ जी की कही गई बात के बारे में मन ही मन सोचने लगा।सेठ जी द्वारा कही गई बात उस भिखारी के दिल में उतर गई थी और वह सोचने लगा कि मुझे भीख में अधिक पैसा इसीलिए नहीं मिलता क्योंकि मैं उसके बदले में किसी को कुछ दे नहीं पाता हूँ मैं तो भिखारी हुँ किसी को कुछ देने लायक भी नहीं हुँ लेकिन मैं कब तक ऐसे लोगों के पास मांगता ही रहूँगा।


              भिखारी बहुत सोचने के बाद भिखारी ने निर्णय  किया कि वो जो भी व्यक्ति उसे भीख देगा तो उसे बदले में वह भी उसे व्यक्ति को कुछ जरूर देगा।लेकिन भिखारी के दिमाग में एक प्रश्न चल रहा था कि वह खुद एक भिखारी है तो वह दूसरों को क्या दे सकता है? भिखारी को यह बात सोचते हुए दीन गुजर गया लेकिन उसे अपने प्रश्न का कोई उत्तर नही मिला।

           भिखारी दूसरे दिन जब वह स्टेशन के पास बैठा हुआ था तभी उसकी नजर सामने कुछ फूलो पर पड़ी  तुरंत उसके दिमाग में एक विचार आया जब मुझे कोइ भीख दे तब मैं उसे बदले में फूल दुंगा। उस भिखारी को यह विचार अच्छा लगा और उसने वहां से कुछ फूल तोड़ कर अपने साथ लेकर वह ट्रेन में भीख मांगने पहुंचा जब भी कोई उसे भीख देता तो उसे बदले में वह फुल देता यह सिलसिला चलता रहा भिखारी को पहले के मुकाबले ज्यादा भीख मैं पैसा आता जब उसके पास फूल नहीं होता तब उसे इतना ज्याद भीख ना मिलतीकुछ ही दिनों में उसने महसूस किया कि अब उसे बहुत अधिक लोग भीख देने लगे हैं। वह स्टेशन के पास के सभी फूलों को तोड़ लाता था। जब तक उसके पास फूल रहते थे तब तक उसे बहुत से लोग भीख देते थे। लेकिन जब फूल बांटते बांटते ख़त्म हो जाते तो उसे भीख भी नहीं मिलती थी,अब रोज ऐसा ही चलता रहा था।


           एक दिन जब वह भीख मांग रहा था तो उसने देखा कि वही सेठ ट्रेन में बैठे है जिसकी वजह से उसे भीख के बदले फूल देने की प्रेरणा मिली थी। वह तुरंत उस व्यक्ति के पास पहुंच गया और भीख मांगते हुए बोला, आज मेरे पास आपको देने के लिए कुछ फूल हैं, आप मुझे भीख दीजिये बदले में मैं आपको कुछ फूल दूंगा। शेठजी  ने उसे भीख के रूप में कुछ पैसे दे दिए और भिख़ारी ने कुछ फूल उसे दे दिए। उस सेठ जी को यह बात बहुत पसंद आयी।सेठ जी बोले वाह क्या बात है..? आज तुम भी मेरी तरह एक व्यापारी बन गए हो, इतना कहकर फूल लेकर वह सेठ जी स्टेशन पर उतर गये।

             लेकिन उस सेठ जी द्वारा कही गई बात एक बार फिर से उस भिख़ारी के दिल में उतर गई। वह बार-बार उस सेठ जी के द्वारा कही गई बात के बारे में सोचने लगा और बहुत खुश होने लगा। उसकी आँखे अब चमकने लगीं, उसे लगने लगा कि अब उसके हाथ सफलता की वह  चाबी लग गई है जिसके द्वारा वह अपने जीवन को बदल सकता है।

         भिखारी  तुरंत ट्रेन से नीचे उतरा और उत्साहित होकर बहुत तेज आवाज में ऊपर आसमान की ओर देखकर बोला, “मैं भिखारी नहीं हूँ, मैं तो एक व्यापारी हूँ..

मैं भी उस सेठ जी जैसा बन सकता हूँ.. मैं भी अमीर बन सकता हूँ लोगों ने उसे देखा तो सोचा कि शायद यह भिख़ारी पागल हो गया है, अगले दिन से वह भिख़ारी उस स्टेशन पर फिर कभी नहीं दिखा।

      एक वर्ष बाद इसी स्टेशन पर दो व्यक्ति सूट बूट पहने हुए यात्रा कर रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को देखा तो उनमे से एक ने दूसरे से हाथ मिलाया और कहा, “क्या आपने मुझे पहचाना ?”

सेठ जी> ''नहीं तो ! शायद हम लोग पहली बार मिल रहे हैं।

भिखारी> सेठ जी.. आप याद किजीए, हम पहली बार नहीं बल्कि तीसरी बार मिल रहे हैं।

सेठ> मुझे याद नहीं आ रहा, वैसे हम पहले दो बार कब मिले थे ?

अब  भिखारी मुस्कुराया और बोला हम पहले भी दो बार इसी ट्रेन में मिले थे, मैं वही भिख़ारी हूँ जिसको आपने पहली मुलाकात में बताया कि मुझे जीवन में क्या करना चाहिए और दूसरी मुलाकात में बताया कि मैं वास्तव में कौन हूँ।

              सेठ जी ओह..! याद आया। तुम वही भिखारी हो जिसे मैंने एक बार भीख देने से मना कर दिया था और दूसरी बार मैंने तुमसे कुछ फूल खरीदे थे लेकिन आज तुम सूट बूट पहने कहाँ जा रहे हो और आजकल क्या कर रहे हो ?


 सेठ जी… मैं वही भिख़ारी हूँ। लेकिन आज मैं फूलों का एक बहुत बड़ा व्यापारी हूँ और इसी व्यापार के काम से दूसरे शहर जा रहा हूँ।

          आपने मुझे पहली मुलाकात में प्रकृति का नियम बताया था… जिसके अनुसार हमें तभी कुछ मिलता है, जब हम कुछ देते हैं। लेन देन का यह नियम वास्तव में काम करता है, मैंने यह बहुत अच्छी तरह महसूस किया है, लेकिन मैं खुद को हमेशा भिख़ारी ही समझता रहा, इससे ऊपर उठकर मैंने कभी सोचा ही नहीं था और जब आपसे मेरी दूसरी मुलाकात हुई तब आपने मुझे बताया कि मैं एक व्यापारी बन चुका हूँ। अब मैं समझ चुका था कि मैं वास्तव में एक भिखारी नहीं बल्कि व्यापारी बन चुका हूँ। मैंने समझ लिया था कि लोग मुझे इतनी भीख क्यों दे रहे हैं क्योंकि वह मुझे भीख नहीं दे रहे थे बल्कि उन फूलों का मूल्य चुका रहे थे। सभी लोग मेरे फूल खरीद रहे थे क्योकि इससे सस्ते फूल उन्हें कहाँ मिलते।

           मैं लोगों की नजरों में एक छोटा व्यापारी था लेकिन मैं अपनी नजरों में एक भिख़ारी ही था। आपके बताने पर मुझे समझ आ गया कि मैं एक छोटा व्यापारी हूँ। मैंने ट्रेन में फूल बांटने से जो पैसे इकट्ठे किये थे, उनसे बहुत से फूल खरीदे और फूलों का व्यापारी बन गया। यहाँ के लोगों को फूल बहुत पसंद हैं और उनकी इसी पसंद ने मुझे आज फूलों का एक बहुत बड़ा व्यापारी बना दिया।

         सेठ जी और भिखारी स्टेशन आने पर दोनो साथ उतरे और अपने-अपने व्यापार की बात करते हुए आगे बढ़ गए।


           दोस्तों इस कहानी से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। कहानी में सेठ जी ‘लेन’ और ‘देन’ के नियम को बहुत अच्छी तरह जानता था,आज दुनिया के सभी बड़े व्यापारी पूँजीपती इसी नियमो का पालन करके ही बड़े व्यापारी बने हैं । इसलिए दोस्तों हमे एक बड़ा बिजनेस हो या छोटा हमे लेन देन का इस नियम को जरूर याद रखना दोस्तो



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